आज भी आप उत्तराखंड के गांवों में चले जाइए। वहां बड़े बुजुर्गों द्वारा कुछ दिलचस्प कहानियां सुनाई जाती हैं। कुछ बातें युवा पीढ़ी को याद रहती हैं और कुछ नहीं। इन्हीं में से एक कहानी है बाण यानी भूतों की टोली। हम आपको इससे संबंधित वीडियो भी दिखा रहे हैं। पसंद आए तो शेयर जरूर करें।
The mysterious story of ghosts in Uttarakhand
उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले बुज़ुर्ग व्यक्तियों ने बाण कहे जाने वाले भूतों की टोली का जीवन में एक बार जरूर आभास किया है। कहा जाता था कि बाण भादो और असूज के महीने में चलते थे। ये टोली दोपहर और रात को 12 बजे के बाद चलती थी। बुजुर्ग कहते हैं कि इस टोली में भूत पिशाच हुआ करते थे। इनके हाथों में हथियार नुमा कोई वस्तु होती थी। ये इंसानों को मार कर उन्हें अपने दल में शामिल कर लेते थे। कहा जाता है कि इनके डर से लोग रात को अपने घरों में उजाला नहीं रखते थे।
बाण के आगे चलते थे चंपवा देवता
बाण के आगे उत्तराखंड में ‘चंपवा देवता’ कहे जाने वाले देवता का रथ चलता था। देवता द्वारा सभई को चेतावनी दी जाती थी कि जो लोग रास्ते में हैं, वो हट जाएं। चंपवा देवता के आगाह करने के बाद भूतों की टोली यानी बाण हाहाकार करते हुए रास्तों पर चलते थे। कहा जाता है कि इस प्रकार की गतिविधियों से कई लोगों की मृत्यु भी हुई।
खैंट पर्वत की रहस्यमयी कहानी
आज भी ये कहानियां सुनकर बड़ा आश्चर्य होता है। मन में सवाल उठता है कि क्या सच में उत्तराखंड में ऐसा होता रहा होगा ? ऐसी ही कुछ कहानी खैंट पर्वत के बारे में भी सुनने को मिलती है। कहा जाता है कि खैट पर्वत में परियों का वास है। खैट पर्वत टिहरी गढ़वाल में है। खास बात ये है कि इस पर्वत के चरणों में ही भिलंगना नदी है। खैट पर्वत गुंबद के आकार की एक मनमोहक चोटी है। विशाल मैदान में मौजूद ये अकेला पर्वत अद्वितीय दिखाई देता है। कहा जाता है कि खैट पर्वत की नौ श्रृंखलाएं हैं और यहां नौ परियां निवास करती हैं। हैरानी की बात तो ये भी है कि यहां वीरान जगह में खुद ही अखरोट और लहसुन की खेती होती है। अखरोट के बागान लुकी पीड़ी पर्वत पर हैं। यहां एक अजीब सी गुफा भी है, जहां भूलभुलैय्या है और यहां नाग की आकृतियां उकेरी हुई हैं। नैर-थुनैर नामक दो पेड़ भी यहां मौजूद हैं, जिसके पत्तों में में अजीब सी सुगंध आती है।