चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ है, लेकिन इस दौरान पहाड़ों पर होने वाला प्लास्टिक कचरा भी एक बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने है. यहां की शांत वादियां और नदियों के खूबसूरत किनारे प्लास्टिक और कचरे से पटने लगे हैं. चारधाम यात्रा के दौरान भी लोग जगह-जगह प्लास्टिक का कचरा फेंककर चले आते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. अच्छी बात ये है कि प्रशासन और तमाम स्वयंसेवी संगठन पहाड़ों को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में अब बदरीनाथ धाम की यात्रा को स्वच्छ एवं प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन ने रिसाइकल कंपनी के साथ पांच वर्षों का अनुबंध किया है.
उप जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि अनुबंध के अनुसार पर्यावरण अधिनियम में निहित प्रावधानों के अंतर्गत स्थान नीती वैली, गोविंदघाट, माणा गांव एवं बदरीनाथ धाम तक सभी वाणिज्यिक संस्थाओं एवं असंगठित इकाईयों में बिक्री होने वाले समस्त प्लास्टिक निर्मित बोतल, सामग्री आदि पर सौ प्रतिशत रिफंडेबल 10 रुपए मूल्य का यूनिक सीरिएलाइज्ड आइडेंटिफिकेशन कोड लगाया जाना आवश्यक होगा. क्यूआर कोड रिसाइकल कंपनी द्वारा औली, नरसिंह मंदिर, गोविन्दघाट, माणा गांव एवं बदरीनाथ धाम में न्यूनतम मूल्य 10 रुपए डिपॉजिट पर समस्त थोक विक्रेता, वितरक, दुकान, होटल, होमस्टे स्वामियों को उपलब्ध कराया जाएगा. उप जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि गोविंदघाट, नीती वैली, माणा गांव एवं बदरीनाथ धाम एवं यात्रा मार्ग पर स्थित वाणिज्यिक संस्थाओं एवं असंगठित इकाईयों द्वारा प्लास्टिक बोतल व सामग्री बिना क्यूआर कोड के विक्रय करने पर नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.