प्रकृति को जितना सहेज कर रखेंगे, उतना ही प्रकृति हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए मददगार साबित होगी। प्रकृति का विनाश होने का अर्थ है कि मानव सभ्यता का विनाश…इसलिए पर्यावरण और प्रकृति का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
Bageshwar Pindari glacier slipped back
अब जो खबर आ रही है, वह बेहद चिंताजनक है। उत्तराखंड में मौजूद पिंडारी ग्लेशियर (Pindari glacier) आधा किलोमीटर पीछे खिसक गया है। यह बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है। दरअसल, उत्तराखंड के जाने-माने छायाकार (फोटोग्राफर) और पद्मश्री सम्मान प्राप्त अनूप साह 60 वर्ष के बाद पिंडारी ग्लेशियर की यात्रा पर गए थे। इससे पहले 75 वर्षीय अनूप साह ने 15 साल की उम्र में पिंडारी ग्लेशियर तक का सफर तय किया था। उनका कहना है कि पिंडारी ग्लेशियर ने अपना स्थान बदल दिया है।
बहुत कुछ बदल गया है
अनूप आगे बताते हैं कि पिंडारी ग्लेशियर का जीरो प्वाइंट लगभग आधा किमी पीछे खिसक गया है। किसी जमाने में पिंडारी ग्लेशियर की चढ़ाई कपकोट से शुरू होती थी। कुल 115 किमी का ट्रैक हुआ करता था। अब खाती गांव तक मोटर रोड है। ट्रैकिंग भी घटकर कुल 31 किलोमीटर ही रह गई है। यह साबित करता है कि हम किस तरह से प्रकृति का दोहन कर रहे हैं। Pindari glacier का आधा किलोमीटर पीछे चला जाना कोई मामूली सी बात नहीं है। प्रख्यात पर्यावरणविद् भी इस बात को लेकर चिंतित होंगे।
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