उत्तराखंड में आज भी गौरवशाली सैन्य परंपरा का निर्वहन किया जाता है. भारतीय सेना का हर पांचवा जवान उत्तराखंड से है, यही नहीं इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास आउट होने वाला हर 12वां अफसर भी इसी मिट्टी से जन्मा है. पहाड़ के बच्चों को देशभक्ति की सीख परिवार से मिलती है, तभी तो यहां रहने वाले परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सैन्य परंपरा को निभाते नजर आते हैं. देवभूमि में ऐसे परिवारों की कमी नहीं जिनकी तीसरी-चौथी पीढ़ी भी सेना में जाकर देश के प्रति अपना फर्ज निभा रही है. ऐसी ही नौजवानों में से एक हैं बागेश्वर के राहुल जोशी. शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट बागेश्वर के राहुल जोशी ने पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया है. दादा और पिता के बाद वह परिवार के तीसरे ऐसे सदस्य हैं जो राष्ट्र सेवा के लिए सेना में शामिल हुए हैं. बचपन में ही घर में सेना की वर्दी देखी तो मन में ठान लिया कि उन्हें भी देश की सेवा करनी है.
खुद को सैन्य अफसर के रूप में देखने का सपना बुना जाने लगा. मेहनत की और आइएमए से पासआउट होकर पिता की राह पर आगे बढ़ते हुए सैन्य अधिकारी बन गए. राहुल के पिता गणेश जोशी ने बताया कि उनके परिवार की यह तीसरी पीढ़ी है जो सेना में राष्ट्र सेवा कर रही है. राहुल के दादा, पिता और चाचा सैन्य अधिकारी रह चुके हैं. पहले घर का माहौल और फिर आर्मी स्कूल का परिवेश ने उन्हें सैन्य अफसर बनने के लिए प्रेरित किया. राहुल की प्राथमिक शिक्षा बागेश्वर में ही हुई, इसके बाद उन्होंने सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से शिक्षा ग्रहण की.उच्च शिक्षा के लिए वह दिल्ली गए और बीएससी में दाखिला लिया, लेकिन मन में भारतीय सेना में शामिल होने की ललक ने उन्हें आइएमए की राह दिखाई. सीडीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर वह आइएमए पहुंचे और अब सैन्य अधिकारी बनकर सेना में शामिल हो गए हैं.