भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख ज्योतिर्लिंग. उत्तराखंड में मौजूद इस मंदिर में हर साल हजारों-लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. आमतौर पर भक्त बाबा केदार की ही पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन बाबा केदार के अलावा कोई और भी है, जिनकी पूजा के बिना बाबा केदार की पूजा फल नहीं देती. ये हैं क्षेत्र रक्षक बाबा भैरवनाथ. आपको बता दें की विश्व विख्यात केदारनाथ धाम के क्षेत्ररक्षक भैरवनाथ भगवान के कपाट भी आज विधिवत खुल गये हैं. भैरवनाथ भगवान के कपाट खुलने के बाद अब सायं से नित्य भगवान केदारनाथ की आरती होगी और भोग लगेगा. भैरवनाथ के कपाट खुलने की परंपरा आदि काल से चली आ रही है. केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार को अक्षय तृतीया पर्व पर खुल गये थे. आज शनिवार को केदारनाथ धाम में स्थित केदारनाथ के क्षेत्ररक्षक भगवान भैरवनाथ के कपाट भी खुल गये हैं. केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने भैरवनाथ के कपाट खोले. बता दें कि भैरवनाथ भगवान केदारनाथ के क्षेत्ररक्षक के रूप में पूजे जाते हैं.
मान्यता के अनुसार जब केदारनाथ धाम के कपाट बंद होते हैं और केदारनाथ में कोई नहीं रहता है तो भैरवनाथ ही सम्पूर्ण केदारनगरी की रक्षा करते हैं. बाबा भैरवनाथ का मंदिर केदारनाथ धाम से आधा किमी दूर स्थित है. जो भक्त बाबा केदार के दर्शनों को आते हैं, वो भैरवनाथ के दर्शन भी जरूर करते हैं. जब बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सह डोली ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए रवाना होती है तो उससे एक दिन पूर्व भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. डोली के केदारनाथ धाम पहुंचने पर मंदिर के कपाट तो खोले जाते हैं, लेकिन बाबा केदार की आरती और भोग तब तक नहीं लगता है जब तक बाबा भैरवनाथ के कपाट न खोले जाएं. आज शनिवार को केदारनाथ के पुजारी ने विधि-विधान से भैरवनाथ के भी कपाट खोल दिये हैं. अब सायं से बाबा केदार की संध्याकालीन आरती शुरू हो जाएगी. अब भक्त केदारनाथ के अलावा भैरवनाथ के भी दर्शन कर सकेंगे.