केदारनाथ आपदा…वर्ष 2013 का वो मंजर आखिर कौन भूल सकता है, जब हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे।
Chaumasi Lincholi Kedarnath Yatra Route
आपदा के दौरान एक मार्ग ऐसा भी था, जिस वजह से हजारों लोगों की जान बच सकी थी। उस पौराणिक मार्ग से भी केदारनाथ यात्रा शुरू करने की तैयारी चल रही है। हालांकि उस चौमासी-केदारनाथ पैदल मार्ग के विकास करने की राह में भूमि हस्तांतरित बड़ी चुनौती है।
मार्ग के निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा गया
बताया गया है कि अब जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने इस मार्ग के निर्माण के लिए 20 करोड़ का प्रस्ताव उत्तराखंड शासन को भेजा है। माना जा रहा है कि अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से वन भूमि हस्तांतरण हो सकता है। आपको बता दें कि इस मार्ग पर चौमासी से लिनचोली तक 13 किलोमीटर का हिस्सा वन आरक्षित क्षेत्र में आता है। बताया गया है कि इस 19 किलोमीटर के पैदाल मार्ग पर 13 किलमीटर हिस्से की हालत ठीक नहीं है, उसे मरम्मत की जरूरत है। 50 साल पहले इसी मार्ग से तीर्थयात्री लिनचोली होकर केदारनाथ पहुंचते थे। बताया जाता है कि उस समय गुप्तकाशी से गौरीकुंड तक राष्ट्रीय राजमार्ग भी नहीं बना था। जब गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए पैदल मार्ग बना, तो इस पौराणिक रास्ते से यात्रियों की आवाजाही बंद हो गई।
आपदा के बाद समझ आई रास्ते की अहमियत
वर्ष 2013 में आपदा आई तो इस पौराणिक मार्ग की अहमियत समझ में आने लगी। आपदा के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस रास्ते को विकसित करने के लिए दो करोड़ रुपये जारी किए थे और वन विभाग को इसका काम सौंपा गया। लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही। ग्राम पंचायत चौमासी के प्रधान मुलायम सिंह ने बताया कि बीते 40 वर्षों से हर स्तर पर इस पौराणिक रास्ते को विकसित करने की मांग उठाई गई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। खैर अब नई उम्मीद तो जगी है। देखते हैं आगे क्या होता है।
Uttarakhand Movie Shooting: देहरादून में इस धाकड़ फिल्म की शूटिंग, शहर में जुटे दिग्गज कलाकार
IAS Deepak Rawat: एक्शन में IAS दीपक रावत, बीच सड़क पर तंबाकू थूकने और सिगरेट पीने वालों की आई शामत