उत्तराखंड में कई रहस्यमय जगहें हैं. इन जगहों की अपनी कहानियां हैं जो रोमांचकारी हैं. इन जगहों को घूमने के लिए देश और दुनिया से टूरिस्ट आते हैं. कई जगहें तो ऐसी हैं जिनके रहस्य सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. आमतौर पर परियां सिर्फ हमारी कल्पनाओं का हिस्सा रही हैं, लेकिन उत्तराखंड में ऐसी कई जगहें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां परियां बसती हैं. टिहरी का खैट पर्वत परीलोक के रूप में पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन आज हम आपको नैनीताल के परी ताल के बारे में बताएंगे. आपको बता दें की नैनीताल जिले को भारत का ‘लेक डिस्ट्रिक्ट’ कहा गया है. माना जाता है कि इस जिले में कभी 60 झीलें हुआ करती थीं, लेकिन आज केवल नैनीझील, भीमताल, नौकुचियाताल, हनुमान ताल, सीताताल, कमलताल जैसी कुछ झीलों से ही लोग परिचित हैं.
आज हम आपको नैनीताल जिले के एक ऐसे ही ताल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे परी ताल कहा जाता है. इस झील के बारे में कम ही लोग जानते हैं. कहा जाता है कि यहां परियां नहाने आती हैं, जिस वजह से इसे यह नाम मिला है. नैनीताल शहर से 25 किलोमीटर दूर चाफी गांव पड़ता है. यहां से लगभग 3 किमी का पैदल रास्ता चलकर परी ताल तक पहुंचा जा सकता है. यहां पहुंचने का रास्ता काफी रोमांचक और थोड़ा खतरनाक भी है. रास्ते में फिसलन भरी चट्टानों और पत्थरों के बाद नदी को पार करके इस झील के नजदीक पहुंच सकते हैं. रास्ते में अंग्रेजों के जमाने के एक पुल से होकर गुजरना पड़ता है. ब्रिटिशकाल का यह पुल भी वाकई में देखने लायक है.