त्रियुगीनारायण के बाद अब बाबा केदार का शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर भी वेडिंग डेस्टिनेशन बनने लगा है. ऊखीमठ देवभूमि का वो स्थान, जहां भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध का विवाह असुरराज बाणासुर की बेटी ऊषा के साथ संपन्न हुआ. अब इस जगह को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है. बीते गुरुवार को रोहिणी दिल्ली निवासी लखन चंदेला (44) तथा संगीता सिंह (41) ने ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंचकर पूजा-अर्चना कर उषा अनिरुद्ध के विवाह मंडप में सात फेरे लिए. विवाह संबंधी रस्मों, पूजा-पाठ का कार्य मंदिर समिति के आचार्यगणों ने संपंन करवाया, जबकि स्थानीय महिलाओं एवं महिला मंगल दल ने मंगल गान का आयोजन कर नवविवाहित जोड़े को शुभकामनाएं दी. इस दौरान स्थानीय बाजीगरों ने ढोल-दमाऊ की थाप से जागरों का गायन किया. मन्दिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया बारात ऊखीमठ के एक निजी होटल से ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंची.
विवाह बडे़ धूमधाम से संपंन हुआ. रोहिणी दिल्ली निवासी लखन चंदेला ने बताया उनके परिजन पिछले वर्ष केदारनाथ यात्रा पर आए थे. परिजनों ने बाबा केदारनाथ की यात्रा के साथ ही ओंकारेश्वर मंदिर के भी दर्शन किए. उन्हें मंदिर के पुजारियों ने भगवान कृष्ण के पोते अनिरूद्ध एवं बाणासुर पुत्री उषा के विवाह मंडप एवं ओंकारेश्वर मंदिर के महात्म्य की जानकारी मिली. इसी विवाह मंडप में विवाह कराने का संकल्प किया. अब आपको ऊखीमठ से जुड़ी पौराणिक मान्यता के बारे में भी बताते हैं. इसके अनुसार शोणितपुर नगरी के असुरराज बाणासुर की बेटी ऊषा का विवाह श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध के साथ ऊखीमठ में ही हुआ था. ऊषा की शादी अनिरुद्ध से होने के बाद से इस स्थान को उषामठ कहा जाने लगा और बाद में यह ऊखीमठ के नाम से पहचाना जाने लगा. यहां आज भी ऊषा-अनिरुद्ध विवाह मंडप मौजूद है.