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Friday, March 7, 2025

उत्तराखंड के राहुल बहुगुणा बने सेना में अफसर, परिवार की सैन्य परंपरा को बढ़ाया आगे

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उत्तराखंड और भारतीय सेना का संबंध अटूट है. उत्तराखंड के महत्वकांक्षी युवा सालों से चली आ रही सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. आर्मी में जाने का सपना पाले उत्तराखंड के युवा अपनी प्रतिभा से राज्य का नाम ऊंचा कर रहे हैं. उत्तराखंड के नौजवानों के अंदर मातृभूमि के लिए कुछ कर दिखाने की तमन्ना हमेशा मौजूद रहती है और भारतीय सेना जुनून बनकर उनके सिर के ऊपर सवार रहती है. प्रदेश में लोगों के अंदर सेना में जाने का जितना जोश है वह शायद ही कहीं और देखने को मिलता होगा. आज हम आपको एक ऐसे ही महत्वकांक्षी और प्रतिभाशाली युवा से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाया है और वे इंडियन आर्मी में अफसर पद के लिए चुने जा चुके हैं.

आपको बता दें की चार साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद देहरादून के इंदिरा नगर कॉलोनी निवासी राहुल बहुगुणा ओटीए गया से पासिंग आउट परेड के बाद परिवार के पहले सैन्य अधिकारी बन गए हैं. राहुल के पिता सूबेदार अजय बहुगुणा नॉर्थ-ईस्ट में कार्यरत हैं. उनके चाचा संजय बहुगुणा भी असम राइफल्स में कार्यरत हैं. दादा सच्चिदानंद बहुगुणा बीएसएफ में थे. परदादा मगनानंद बहुगुणा भी भारतीय सेना में थे. राहुल के सैन्य अधिकारी बनने पर उनके पूरे परिवार के साथ उनके पैतृक गांव में खुशी का माहौल है. मूल रूप से परिवार पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर क्षेत्र बिलकेदार निवासी राहुल के परिवार के लिए शनिवार का दिन गौरवांवित करने वाला रहा. परेड के दौरान राहुल की मां मीनाक्षी बहुगुणा और परिवार के अन्य रिश्तेदार भी परेड देखने गए थे.

इस सैन्य परंपरा को कायम रखना उनकी दादी लक्ष्मी देवी बहुगुणा का शुरू से सपना था. उनके पोते राहुल बहुगुणा ने इस सपने को पूरा कर दिखाया. बिहार के गया में पासिंग आउट परेड में पहुंचे उनके परिजनों ने ही उनके कंधों पर स्टार लगा कर इस पल को और भी यादगार बनाया. राहुल बहुगुणा ने देवभूमि पब्लिक स्कूल नकोट बिलकेदार से दसवीं तक की पढाई की. उसके बाद द एशियन स्कूल देहरादून से बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद उन्होंने टीईएस परीक्षा (तकनीकी प्रवेश योजना) पास की और ट्रेनिंग के लिए चले गए. उनके छोटे भाई अक्षत ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. राहुल का कहना है कि उनके मार्गदर्शक के रूप में चाचा शोभित बहुगुणा और मामा जेपी उपाध्याय का बड़ा योगदान रहा.

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