उत्तराखंड में 9 नवंबर से पहले समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बारे में जानकारी दी है। सीएम धामी ने कहा कि राज्य में 09 नवम्बर 2024 से पहले समान नागरिक संहिता कानून को लागू कर दिया जाएगा।
Uniform Civil Code law will be implemented in Uttarakhand
देहरादून में न्यायिक परिसर (पुरानी जेल) देहरादून में बार एसोसिएशन देहरादून के नवीन भवन के शिलान्यास के दौरान सीएम धामी ने यह बात कही। सीएम ने कहा मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने नकल विरोधी कानून के अलावा धर्मांतरण कानून, दंगा रोधी आदि कानूनों को लागू किया है। इनके लागू हो जाने से आज देश भर में उत्तराखंड की पहचान एक अनुशासित और अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस रखने वाले राज्य के रूप में हुई है।
समान नागरिक संहिता की खास बातें
अब आपको समान नागरिक संहिता की कुछ खास बातें बताते हैं। विधेयक में कुल 392 धाराएं हैं। इनमें से 328 धाराएं केवल उत्तराधिकार से संबंधित हैं। समान नागरिक संहिता में महिला अधिकारों के संरक्षण पर फोकस किया गया है। इस विधेयक को चार खंडों में बांटा गया है। विधेयक में महिलाओं को समानता के अधिकार का प्रावधान है। अनुसूचित जनजातियों और भारत के संविधान की धारा-21 में संरक्षित समूहों को समान नागरिक संहिता कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।
बहु विवाह और बाल विवाह पर रोक
विधेयक के पहले खंड में साफ किया गया है कि राज्य में बहु विवाह और बाल विवाह मान्य नहीं होंगे। कानून में विवाह और विवाह विच्छेद का रजिस्ट्रेशन आवश्यक बताया गया है। 26 मार्च 2010 के बाद हुए विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर अधिकतम तीन माह तक का कारावास और अधिकतम 25 हजार तक का जुर्माना लगोगा। समान नागरिक संहिता के तहत एकतरफा और मनमाने तलाक की प्रथा पर रोक लगेगी। अगर कोई पुनर्विवाह के लिए तय नियम का उल्लंघन करता है तो उसे एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा। इसके अलावा छह माह तक जेल की सजा का भी प्रावधान है। समान नागरिक संहिता में उत्तराधिकार के बारे में भी जानकारी दी गी है। कानून के अनुसार सभी जीवित बच्चे, पुत्र या पुत्री संपत्ति में बराबर के हकदार होंगे।
लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी
विधेयक का तीसरा खंड लिवइन रिलेशनशिप पर केंद्रित है। इसके तहत लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों को पंजीकरण जरूर कराना होगा। लिव इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान अगर बच्चा पैदा होता है तो उसे वैध संतान माना जाएगा। अगर लिव इन में रहने वाले नाबालिग हैं, तो इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। लिव इन का पंजीकरण न कराने पर तीन माह की जेल और 10 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रवधान है। कानून बनने पर समाज में व्याप्त कुरीतियों और कुप्रथाओं को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा।
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