दिल्ली में केदारनाथ नाम से बनाए जा रहे मंदिर को लेकर चारों धामों में पंडा पुरोहितों ने विरोध दर्ज करवाया है. इसके साथ ही केदारघाटी की जनता में आक्रोश पनप गया है. मामले को लेकर सियासत भी होने लगी है. चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार की क्या मानसिकता है? अब चारों धामों के दर्शन दिल्ली में करवाए जाएंगे? यह सनातन धर्म के साथ ही संस्कृति का घोर अपमान है. भगवान शंकर ऐसा करने वालों को सद्बुद्धि दें. पुरोहितों का कहना है कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग है, जो साढ़े 11 हजार फीट की उंचाई पर स्थित है. केदारनाथ में ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से बारह ज्योतिर्लिंगों का पुण्य मिलता है. इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया है. जो भगवान आशुतोष का सबसे प्रिय स्थान है. इसलिए भगवान शंकर का मंदिर आप जहां मर्जी बनवाएं, लेकिन केदारनाथ मंदिर के प्रारूप के बारे में बिल्कुल न सोचें.
ऐसा करने से पूरे प्रदेश का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का अहित और अपमान होगा. केदारघाटी की जनता भी दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर निर्माण को लेकर आक्रोशित है. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पवन राणा का कहना है कि मुख्यमंत्री धामी गढ़वाल क्षेत्र के साथ भेदभाव कर रहे हैं. केदारनाथ धाम की यात्रा में पंजीकरण की अनिवार्यता करके हजारों तीर्थयात्रियों को कुमाऊं के धामों में भेजा गया. इससे केदारनाथ धाम की यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली. उन्होंने कहा कि गढ़वाल क्षेत्र के लोगों के रोजगार को लेकर सरकार ने कोई भी ठोस प्रयास नहीं किए हैं. जो रोजगार केदारनाथ धाम की वजह से है, उसे भी छीनने का प्रयास किया जा रहा है. केदारनाथ-बदरीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं को बेवजह कुमाऊं के मठ-मंदिरों में भेजा जा रहा है, जिससे गढ़वाल क्षेत्र के लोगों का रोजगार ठप हो गया है.