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Friday, September 20, 2024

उत्तराखंड का रहस्यमयी झरना: पापियों के तन पर नहीं पड़ती देवभूमि में मौजूद इस जल की पवित्र धारा

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भारत दुनियाभर में अपनी संस्कृतियों और परंपराओं के लिए मशहूर है. यहां मौजूद कई सारे एतिहासिक और धार्मिक स्थलों को देखने देश-विदेश से लोग यहां आते हैं. विविधताओं से भरा यह देश कई रहस्यों और चमत्कारों से भी भरा हुआ है. यही वजह है कि भारत कई वर्षों से दुनियाभर में लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. भारत के यूं तो कई सारे पर्यटन स्थल पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं, लेकिन देवभूमि उत्तराखंड की बात ही कुछ अलग है. उत्तराखंड में ऐसी कई जगहें हैं जो आज भी विज्ञान को चुनौती दे रही हैं. इनका रहस्य अब तक नहीं सुलझ पाया. चमोली में माणा से 8 किलोमीटर दूरी पर एक ऐसा ही रहस्यमयी झरना है, जिसे हम वसुधारा के नाम से जानते हैं.

वसुधारा को लेकर कई मान्यताएं हैं. बदरीनाथ आने वाले यात्री वसुधारा जरूर जाते हैं. इस झरने के बारे में कहा जाता है कि इसका एक छींटा भी अगर मनुष्य के तन पर पड़ जाए, तो उसके पाप मिट जाते हैं. यह झरना समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो 400 फीट की ऊंचाई से गिरता है. स्कंद पुराण में भी वसुधारा का जिक्र मिलता है. ऊंचाई पर हवा और पानी के मिलने से जो ध्वनि उठती है, वो हर किसी को रोमांचित कर देती है. हर प्राणी जीवन में एक बार यहां आने की चाह रखता है. कहते हैं कि पांडव द्रोपदी के साथ इसी रास्ते से स्वर्ग गए थे. वसुधारा वो जगह है, जहां सहदेव ने अपने प्राण त्यागे थे. अर्जुन ने अपना गांडीव धनुष भी यहीं पर त्याग दिया था.

झरने का नाम वसुधारा इसलिए पड़ा क्योंकि यहां अष्ट वसु (यानी अयज, ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्यूष व प्रभाष) ने कठोर तप किया था. इस झरने को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसका पानी पापियों के तन को नहीं छूता नहीं है. पापी व्यक्ति के स्पर्श से ही झरने का पानी गिरना बंद हो जाता है. इस खास और रहस्यमयी झरने का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है. करीब 400 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले इस झरने को एक नजर में शिखर तक नहीं देखा जा सकता. इस झरने के सुंदर मोतियों जैसी जलधारा लोगों को धरती पर स्वर्ग का अनुभव कराती है. इसके अलावा इस झरने को लेकर यह भी कहा जाता है कि इसका पानी कई तरह की जड़ी-बूटियों से होकर गिरता है,जिसकी वजह से इसका पानी जिस व्यक्ति पर भी गिरता है, वह निरोगी हो जाता है.

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