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Friday, September 20, 2024

Uttarakhand: गढ़वाल के इस रिटायर्ड आर्मी अफसर को सलाम, खेती-किसानी से सालाना कमा रहे हैं 10 लाख रुपये

Uttarakhand: चौबट्टाखाल के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल विकास गुंसाई ने खेती-किसानी के लिए स्थानीय युवाओं को भी प्रेरित किया है। वे काली हल्दी, मैंगो जिंजर, आंवला, आम समेत कई फलों और खाद्य पदार्थों को उगा रहे हैं। इससे स्थानीय महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ा गया है।

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अक्सर लोग ये ही सोचते हैं कि जब रिटारमेंट की उम्र आएगी, तो उसके बाद क्या करेंगे? इसके लिए लोगों के पास अलग अलग सुझाव होते हैं। हालांकि, इन सबके बीच पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टाखाल के रहने वाले एक एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हम सभी के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं। 

Inspiring story of Lieutenant Colonel Vikas Gunsai

कहते हैं कि धरती की रक्षा के लिए एक सैनिक हमेशा ड्यूटी पर ही होता है, चाहे रिटायर होने से पहले या फिर रिटायर होने बात। ऐसी ही शख्सियत हैं रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल विकास गुंसाई। जब वे सेना में थे तो देश की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्तियों में शुमार रहे और जब रिटायर हो गए तो पहाड़ की धरती की रक्षा भी वे अपने तरीके से कर रहे हैं। खेती-किसानी से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल विकास गुंसाई सालाना 9 से 10 लाख रुपये कमा लेते हैं। नेटवर्क 18 की रिपोर्ट के अनुसार, चौबट्टाखाल के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल विकास गुंसाई ने खेती-किसानी के लिए स्थानीय युवाओं को भी प्रेरित किया है। वे काली हल्दी, मैंगो जिंजर, आंवला, आम समेत कई फलों और खाद्य पदार्थों को उगा रहे हैं। इससे स्थानीय महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ा गया है। इन सभी खाद्य पदार्थों का प्रसंस्करण कर, स्थानीय महिलाओं मुरब्बा, अचार जैसे कई तरह के उत्पाद तैयार कर रहीं हैंं। उनकी बनाई हुई हल्दी की डिमांड विदेशों तक है।

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चीज़ों को उगा रहे हैं. इन चीज़ों की प्रोसेसिंग करके स्थानीय महिलाएं मुरब्बा, आचार और कई तरह के उत्पाद बना रहीं हैं. उनकी हल्दी विदेशों तक मे भेजी जाती है. वह कम से कम 9 से 10 लाख रुपये सालाना रुपये कमा लेते हैं। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल विकास गुंसाई देहरादून के रहने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 1983-84 में नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) की परीक्षा पास की और इसके बाद 21 वर्षों तक भारतीय सेना में सेवाएं दीं। कारगिल युद्ध के दौरान उनकी पोस्टिंग बटालिक सेक्टर में थी। वर्ष 2011 में उन्होंने सेवा से प्रीमेच्योर सेवानिवृत्ति ली और प्राइवेट डॉब करने लगे। हालांकि, दिल्ली की नौकरी उन्हें रास न आई और पहाड़ की खुशबू उन्हें अपनी ओर खींचती रही। बस फिर क्या था? वे वापस लौटे और खेती-किसानी सीखने लगे। काफी समय तक खेती की बारीकियां सीखने के बाद  Lieutenant Colonel Vikas Gunsai ने पहले सब्जियां उगाने पर फोकस किया। आज वे विभिन्न प्रकार की सब्जियों के साथ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक पौधे भी उगा रहे हैं। तो कुल मिलाकर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल विकास गुंसाई की जिंदगी हमें यह सिखाती है कि हाथ पर हाथ धरकर बैठने से कुछ नहीं होता। छोटे छोटे प्रयासों से ही बड़ी सफलता हाथ लगती है।

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