ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की अहमियत से तो सब वाकिफ होंगे. चार धाम की यात्रा में ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना मील का पत्थर साबित होगी. इससे ना केवल उत्तराखंड को बड़ा फायदा होगा बल्कि चार धाम यात्रा करने वाले यात्रियों को भी बेहद सुविधा रहेगी और केवल 4 घंटे में वह बद्रीनाथ धाम पहुंच पाएंगे. यह रेल परियोजना बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा का पूरा स्वरूप ही बदल कर रख देगी और उस वजह से केदारनाथ और बद्रीनाथ आने वाले तीर्थ यात्रियों का न केवल समय बचेगा बल्कि खर्च भी कम होगा. अगले साल यानी 2025 में आप ट्रेन से चारधाम की यात्रा कर सकेंगे. रेलवे की चारधाम परियोजना के तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ को रेलवे से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है. रेलवे बोर्ड की सीईओ जया वर्मा सिन्हा पिछले दिनों इसका निरीक्षण कर चुकी हैं.
इस परियोजना में 327 किमी का रेलवे ट्रैक तैयार किया जाना है. तीन चरणों में बंटी इस परियोजना को रेलवे 2025 तक पूरा करने की दावा कर रही है. इसकी शुरुआत मुरादाबाद रेल मंडल से काफी पहले हो चुकी है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 125 किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का काम लगभग पूरा हो गया है. अब सुरंगों में फिनिशिंग व उन्हें मौसम की दृष्टि से मजबूत बनाने का काम चल रहा है. भारी बारिश व भूकंप का असर भी यहां नहीं होगा. रेल प्रशासन का कहना है कि कार्य पूरा होने के बाद ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच की दूरी मात्र डेढ़ से दो घंटे में पूरी हो जाएगी. ट्रैक को इस प्रकार बनाया जा रहा है कि ट्रेन 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सके. चारधाम की यात्रा करने में जहां लोगों को 15 दिन लग जाते थे. वहीं रेलवे की इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह यात्रा चार से से पांच दिन में हो जाएगी.
इस परियोजना में 153 किमी का रेल रूट मुरादाबाद मंडल में आता है. इसमें से 125 किमी का रेल रूट कुल 16 हजार 216 करोड़ रुपये की लागत से तैयार गो रहा है. इसमें से 105 किमी की रेल लाइन सुरंग से होकर गुजरेगी. इस लाइन के बीच कुल 12 स्टेशन बनाए जा रहे हैं. जिसमें कुछ रेलवे स्टेशनों व सुरंगों का निर्माण पूरा हो चुका है. इस परियोजना को विस्तार देकर बदरीनाथ और केदारनाथ तक बढ़ाया जाएगा. 125 किमी का रेल रूट कुल 16 हजार 216 करोड़ रुपये से तैयार हो रहा है. इसमें से 105 किमी की रेल लाइन सुरंग से होकर गुजरेगी. इस लाइन के बीच कुल 12 स्टेशन बनाए जा रहे हैं. इनमें योग नगरी ऋषिकेश, मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिलगांव, साकनी, देवप्रयाग, कीर्ति नगर, श्रीनगर, धारी देवी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर और कर्णप्रयाग हैं. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच विदेशी तकनीकों से सुरंग निर्माण होगा.