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Friday, September 20, 2024

औषधीय गुणों की खान है पहाड़ी फल घिंघारू, डायबिटीज समेत इन गंभीर बीमारियों का पक्का इलाज

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उत्तराखंड प्राकृतिक संपदा और जैव विविधता के साथ ही यहां मिलने वाली जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध है. देवभूमि में मिलने वाली जड़ी-बूटियों में जीवनदायिनी शक्ति है. इन्हीं जड़ी-बूटियों में से एक है घिंघारू, यह फल कुमाऊंनी में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरु और नेपाली में घंगारु के नाम से मशहूर है. छोटे-छोटे लाल सेब जैसे दिखने वाले घिंघरु के फलों को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं. इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है, जो कि पहाड़ों में खूब पाया जाता है. इसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन घिंगारु का पौधा चमत्कारी गुणों से भरपूर है. बता दें कि घिंगारु के छोटे-छोटे फल गुच्छों में लगे होते हैं. यह फल अगस्त और सितंबर में पकने पर नारंगी या फिर गहरे लाल रंग के हो जाते हैं.

यह हल्के खट्टे, कसैले और स्वाद में कुछ मीठे होते हैं. इसका पौधा मध्यम आकार का होता है. इसकी शाखाएं कांटेदार और पत्ते गहरे रंग के होते हैं. यह पौधा 500 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है. पहाड़ों पर रहने वाले लोग बताते हैं कि घिंगारू यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है. यह कई बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है. मुख्य तौर पर हार्ट के लिए पेट की पाचन क्रिया के लिए घिंगारू इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर जीएस कोटिया ने बताया यह पहाड़ी फल कई नामों से जाना है. जिसे कुमाऊंनी में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरू और नेपाली में घंगारू के नाम से जाना जाता है. छोटे-छोटे लाल सेव जैसे दिखने वाले घिंघरू के फलों को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं.

इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है. उन्होंने कहा खाने में यह खट्टा और मीठा होता है. डॉक्टर ने बताया कि यह कई बीमारियों में रामबाण है. मुख्य तौर पर हृदय रोग, रक्तचाप, खूनी दस्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने आदि कई बीमारियों के लिए यह रामबाण माना जाता है. उन्होंने बताया अगर किसी को खूनी दस्त हो जाये तो घिंघारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है. इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर भी पाई जाती है. यह शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा इसकी टहनी का प्रयोग दांतून के रूप में भी किया जाता है. जिससे दांत दर्द से निजात मिल सकती है. उन्होंने बताया घिंघारू के फल और पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फलामेट्री गुण होने की वजह से यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह रोगों को ठीक करने में मदद कर सकता है.

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