उत्तराखंड के एक और जांबाज लाल ने देशसेवा की राह में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. बीती 16 अगस्त को चमोली के गैरसैंण के क्षेत्र के सारकोट गांव के हवलदार बसुदेव सिंह (उम्र 30 वर्ष) लद्दाख क्षेत्र के लेह में शहीद हो गए थे. बताया जा रहा है कि एक महत्वपूर्ण एक्सरसाइज क्लोजिंग के दौरान हुए ब्लास्ट में गिरे शेल्टर की चपेट में आने से बसुदेव सिंह शहीद शहीद हो गए थे. बसुदेव सिंह साल 2010 में भारतीय सेना का हिस्सा बने. वे इन दिनों लेह में भारतीय सेना के बंगाल इंजीनियरिंग की 55 रेजिमेंट में तैनात थे. आज सेना के विशेष वाहन से उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव सारकोट लाया गया. इससे पहले गैरसैंण बाजार पहुंचने पर स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने सेना के वाहनों पर फूल चढ़ाए.
साथ ही ‘भारत माता की जय’, ‘शहीद जवान बसुदेव सिंह अमर रहे’ और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, बसुदेव तेरा नाम रहेगा’ के नारे लगाए. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके गांव ले जाया गया. बसुदेव का पार्थिव शरीर देख उनकी पत्नी, बेटा-बेटी, माता-पिता और बहन बिलख उठे. जिसे देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गई. परिजनों का रो रो कर बुरा हाल हो गया. उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. रुद्रप्रयाग से उनके पार्थिव शरीर को लेकर आए 55 बंगाल इंजीनियरिंग के ओर्डीनरी कैप्टेन अवतार सिंह और 6 ग्रिनेडियर के तीन अधिकारी व 15 सैनिकों की टुकड़ी ने बलिदानी को सशस्त्र सलामी दी. शहीद का अंतिम संस्कार उनके पैतृक घाट मोटूगाड में किया गया.